दस साल बाद लांघी सीमा, ताप्ती ने उतावली, मोहना को भी रोका, आधी रात को डूबी बस्तियां

afzal Tadavi
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- भारी बारिश और पारसडोह डेम के तीन गेट खुलने से बढ़ा ताप्ती नदी का जलस्तर, जिलेभर में अलर्ट जारी बुरहानपुर। दस साल बाद ताप्ती नदी ने रौद्र रूप दिखाया। जलग्राहण क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश और बैतूल के पारसडोह डेम के गेट खुलने के कारण ताप्ती नदी का जलस्तर बढ़ा। आधी रात को निचली बस्तियों में पानी भरना शुरू हुआ तो लोग दहशत में आ गए। प्रशासन भी अलर्ट हो गया। नगर निगम ने निचली बस्तियों में मुनादी करवाकर मकान खाली करवाना शुरू कर दिए। लोग आधी रात को घर का जरूरी सामान समेटने लगे। लोगों को आसपास के राहत शिविरों में ले जा जाया गया। ताप्ती नदी शनिवार दोपहर तीन बजे तक खतरे के निशान से लगभग 15 मीटर उपर बह रही थी। तीन बजे तक ताप्ती नदी का जलस्तर 253 मीटर रहा। खतरे का निशान 220.800 मीटर है।
ताप्ती नदी में बाढ़ के कारण उतावली और मोहना नदी का पानी भी रूक गया। इन दोनों नदियों का पानी उतावली और मोहना संगम से ताप्ती नदी में नहीं घुस पाया। इस कारण दोनों नदियों से बैक वॉटर आने लगा। मोहना नदी का पानी आसपास के खेतों में घुस गया। उतावली नदी का पानी शाह नवाज खां मकबरा क्षेत्र में घुसा। यहां से लोगों के मकान खाली करवा दिए गए। पार्षद ने बताया आंखों देखा हाल चाचा फकीरचंद वार्ड पार्षद अजय उदासीन का निवास ताप्ती नदी किनारे है। उन्होंने पूरा आंखों देखा हाल बताया। उदासीन ने बताया रात 8 बजे से ताप्ती नदी का जलस्तर बढऩा शुरू हो गया था। धीरे-धीरे घाट डूबने लगे थे। रात 10 बजे तक ताप्ती नदी का लाल देवल भी डूबने लगा। रात 12 बजे तक ताप्ती सभी घाट डूब चुके थे और पानी राजघाट गेट से अंदर घुसने लगा। रात 1 बजे ताप्ती नदी राजघाट रोड की ढलान से भी उपर पहुंच गया। ताप्ती नदी का जलस्तर बढऩे से पहले ही निचली बस्तियों में जाकर लोगों को आगाह किया और मकान खाली करवाना शुरू कर दिए। राजघाट की सभी निचली बस्तियों के साथ सतियारा घाट, पीपलघाट, नागझिरी घाट के गेटों को पानी पार कर मकानों तक पहुंच गया था। निचली बस्तियों से लगभग 200 से ज्यादा मकान खाली करवा दिए गए। चाचा फकीरचंद वार्ड क्षेत्र में लगभग 80 से ज्यादा मकानों को खाली करवाकर अग्रवाल भवन, दौलतपुरा की आंगनवाडिय़ों में ठहराया गया है। पीपलघाट क्षेत्र के लेागों को हकीमीया स्कूल में राहत दी है। सभी राहत शिविरों में नगर निगम द्वारा जरूरी व्यवस्था की गई है।
2013 में बने थे ऐसे हालात दस साल पहले 2013 में ताप्ती ने सीमाएं लांघी थी। इस साल भी ताप्ती नदी का पानी किनारे छोडक़र निचली बस्तियों में घुस गया था। दो दिन तक लोगों को राहत शिविरों में रखा गया था। 2013 के बाद से ताप्ती नदी में इतनी बड़ी बाढ़ नहीं आई थी। पिछले कुछ सालों में कभी कभार ही ताप्ती नदी के राजघाट गेट तक पानी पहुंचा था। 18 घंटे में चार इंच बारिश दर्ज बुरहानपुर जिले में शुक्रवार सुबह से बादल छाए रहे। कहीं-कहीं रिमझिम बारिश होती रही। शाम 7 बजे से बारिश का सिलसिला शुरू हो गया। इसके बाद लगातार बारिश होती रही। रातभर कभी तेज तो कभी तेज बारिश हुई। शनिवार दोपहर 2 बजे तक लगभग 4 इंच बारिश दर्ज की गई। शहर में भारी बारिश नहीं होने के कारण हालात सामान्य रहे। कहीं भी पानी नहीं भरा।

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