राजनीति का वो तारा जो कभी टूटा नहीं. अर्चना चिटनीस के लिए अंत नहीं, एक नए सफर की शुरूआत थी 2018 की हार. हार के बाद रूकीं नहीं, थकीं नहीं, बैठीं नहीं, बढ़ते कदमों के निशान जनता के दिलों में छोड़े

afzal Tadavi
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बुरहानपुर। 28 नवंबर 2018 की शाम। ये वो शाम है जब विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए थे। इस चुनाव परिणाम में बुरहानपुर से दो बार की विधायक अर्चना चिटनीस की हार ने सभी को चौंका दिया था। मतगणना की सभी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद जब अर्चना चिटनीस मतगणना कक्ष से बाहर निकली तो उनके ये कदम एक नए राजनीतिक सफर पर चल पड़े थे। चुनाव परिणामों के बाद जुबानों से सवाल उठे, क्या ये हार अर्चना चिटनीस के राजनीतिक सफर का अंत है, लेकिन इस सवाल का जवाब चिटनीस ने  बड़ी ही शालीनता से ऐसे दिया कि सब देखते रह गए। हार के बाद अर्चना चिटनीस रूकीं नहीं, थकीं नहीं, बैठीं नहीं। उनके कदम बढ़ते गए और इन कदमों के निशान जमीन पर नहीं लोगों के दिलों में छोड़ती गईं। बिना विधायक, मंत्री रहे काम करती रहीं। उनकी इस तपस्या ने लोगों को ये कहने को मजबूर कर दिया कि अर्चना चिटनीस राजनीति का वो तारा है जो कभी टूटा नहीं। 
आज इस लेख के माध्यम से अर्चना चिटनीस के पूरे राजनीतिक जीवन  के सफर चलेंगे। राजनीति में अपनी शुरूआत से लेकर मंत्री पद तक हासिल करने वालीं इस महिला के जीवन के एक-एक पहलू को जानेंगे। 
2018 के चुनाव के बाद अर्चना चिटनीस ने अपना स्वभाव बिल्कुल नहीं बदला। पहले की तरह वह लगातार जनता के बीच जाती रही। जज्बा और जनता के प्रति समपर्ण जिसने भी देखा, उसकी आंखे ये सोचकर नम हो गईं कि हमने क्या खोया। सब यही कहने लगे कि ये महिला अब ना तो मंत्री रही और ना ही विधायक, लेकिन आज भी वह मंत्री, विधायक की तरह जनता के काम कर रही है। उनका दरबार कभी बंद नहीं हुआ। द्वारकापुरी में बैठकर हर उस व्यक्ति से मिलीं जो अपनी समस्या लेकर आया। समस्याओं को सुनकर अनदेखी नहीं की। जरूरत पड़ी तो अपनी एमपी 09- 0909 से गांव-गांव गईं। वनग्रामों तक पहुंच गई। भोपाल और दिल्ली तक भी दौड़ती रही। ये उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि पिछले लगभग साढ़े चार साल से जनता इंतजार कर रही है कि जल्द ही अर्चना चिटनीस उनके बीच उसी रौब के साथ लौटें। 
अर्चना चिटनीस को राजनीति विरासत में मिली, लेकिन अपनी पहचान खुद के दम पर बनाई। उनके पिता स्व. प्रो. बृजमोहन मिश्रज्ञ विधानसभा अध्यक्ष रहे। पति स्व. समीर चिटनीस नगर निगम इंदौर में एमआईसी सदस्य और तीन बार पाष्ज्र्ञद रहे। मामा ससुर स्व. राजेन्द्र धाकर मप्र शासन में पूर्व मंत्री रह चुके हैं। अर्चना चिटनीस का राजनीतिक जीवन छात्र जीवन से शुरू हो चुका था। कॉलेज की शिक्षा के दौरान ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्रा प्रमुख रही। 1984 से छात्र राजनीति में अपना पहला कदम रखा। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की यूआर रही। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भाजपा की सक्रिय सदस्य हरकर संगठन में विभिन्न दायित्वों को बखूबी निभाया। चिटनीस इंदौर नगर भाजपा महिला मोर्चा में नगर मंत्री, भाजपा महिला मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ में प्रदेश संयोजक, भाजपा राष्ट्रीय महिला मोर्चा में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रही।
चिटनीस ने वो किया जो दूसरा नहीं सोच पाया
अपने राजनीति जीवन में अर्चना चिटनीस ने अपने नए विचारों से योजनाओं की परिभाषा बदल दी। उन्होंने वो किया जो दूसरा सोच नहीं पाया। उन्होंने राज्य शासन के माध्यम से गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण, आंगवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए बीमा, लाड़ली लक्ष्मी योजना का क्रियान्वयन शुरू करवाया। महिलाओं और किशोरियेां में स्थानीय फल, सब्जियों और खाद्य सामग्री के उपयोग से रक्ताल्पता को समाप्त करने के लिए लालिमा अभियान चलाया। पशुपालन और गौसंवर्धन विभाग में 2005 में नंदी शाला योजना शुरू कराई। स्कूलों में प्रतिभा पर्व, कर्तव्य पर्व जैसे नवाचारों और योजनाओं के क्रियान्वयन कर जनता और आला कमान के नेताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। 
 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय प्रतिनिधित्व किया
भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2011-12 में कम्यूनिटी कॉलेज के नियम निर्धारण और अध्ययन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय दल का नेतृत्य किया। वर्ष 1998 में कामनवेल्थ नेशन फॉर एन्वायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट सिंगापुर में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
ऐसा है चुनावी सफर
वर्ष 1998 में पहला विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी से नेपानगर विधानसभा क्षेत्र से लड़ा। इस चुनाव में मात्र 195 मत से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2003 में भाजपा से बुरहानपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा। 24 हजार वोट से जीतीं। 2008 में बुरहानपुर विधानसभा से चुनाव लडक़र 33 हजार मतों से जीती। 2013 में दोबारा बुरहानपुर विधानसीाा से चुनाव लडक़र 21 हजार मत लेकर विजयी प्राप्त की। 2018 में भारतीय तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन मात्र 5100 वोट से हार गईं। 
मंत्रीमंडल में प्रतिनिधित्व
भाजपा की सरकार में वर्ष 2004-05 में महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय, उच्च शिाा, तकनीकी शिक्षा, पशु पालन एवं गौ संवर्धन मंत्री रही। 2008-09 में स्कूल शिाा, उच्च शिक्षा व तकनीकी शिखा मंत्री रही। जून 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्री बनी।

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