- भाजपा और कांग्रेस दल के दावेदार टिकट पाने के लिए आलाकमान के पास बिछा रहे बिसात, सभी दावेदार शहर के बाहर
बुरहानपुर। विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के दावेदारों ने भोपाल से लेकर दिल्ली तक डेरा डाल रखा है। सभी दावेदार आलाकमान के पास बिसात बिछाने में लगे है। टिकट पाने के लिए केन्द्र और राज्य के नेताओं के पास बायोडाटा खोल रहे हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस का आलाकमान इसी बात पर अटल है कि सिर्फ जीतने वाले प्रत्याशी को ही टिकट देंगे।
भाजपा की बात करें तो इस पार्टी में चौंकाने वाले फैसले लिए जाते हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने सांसद प्रत्याशी के लिए ज्ञानेश्वर पाटिल के नाम पर मोहर लगाई थी। पार्टी के इस निर्णय पर ज्ञानेश्वर पाटिल खरे उतरे और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इसी तरह अगर भाजपा विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाला निर्णय लेती है तो तीसरे नए चेहरा का बायोडाटा विधानसभा प्रत्याशी के रूप में खुल सकता है।
कोई दिल्ली तो को भोपाल में बैठा
विधानसभा का टिकट पाने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेता लगातार भोपाल और दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। दोनों ही दलों के दावेदारों में कोई दिल्ली तो कोई भोपाल में बैठा हुआ है। उल्लेखनिय है कि भाजपा के द्वारा 39 प्रत्याशीयों पहली सूची जारी करने के बाद से ही भाजपा से टिकट पाने वाले दावेदारों में हलचल पैदा हो गई है। इसलिए ही वे भोपाल से लेकर दिल्ली तक अपने अपने आकाओं को मनाने में जूट गये है।
अर्चना, हर्ष प्रबल दावेदार, लेकिन तारवाला भी हो सकते हैं प्रत्याशी
भाजपा के राजनीतिक विशेषज्ञ की मानें तो लोकसभा के उपचुनाव में पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस, स्व. नंदकुमारसिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि ज्ञानेश्वर पाटिल को टिकट मिलेगा, लेकिन एन वक्त पर पार्टी ने पाटिल के नाम की घोषणा की। विशेषज्ञ कहते हैं विधानसभा के लिए अर्चना चिटनीस और हर्षवर्धनसिंह चौहान का नाम शिखर पर हैं, लेकिन दावेदार मनोज तारवाला भी प्रत्याशी के लिए फीट बैठते हैं। इसलिए एन वक्त पर तारवाला के नाम पर भी मोहर लग सकती है।
अर्चना काबिल, हर्ष की पीठ पर सीएम का हाथ
भाजपा की बात करें तो टिकट पाने के लिए पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस काबिल नेता है। उन्होंने अपने दम पर अपनी राजनीति को चमकाया है। इसलिए वें अपने दम पर टिकट पा सकती है। दूसरी ओर चर्चा है कि हर्षवर्धन सिंह चौहान के पीठ पर सीएम का हाथ है। इसलिए उनका प्रत्याशी चुना जाना तय माना जा रहा है, लेकिन आलाकमान अगर किन्हीं भी कारणों से इन दो नामों पर सहमत नहीं होता है तीसरा नाम तारवाला का है,जो पिछले करीब एक वर्ष से बुरहानपुर विधानसभा में पुरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे है।
रघुवंशी निकाल सकते हैं सीट
कांग्रेस विधानसभा प्रत्याशी के लिए कई दावेदार दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन सभी दावेदारों में प्रदेश कांग्रेस महासचिव अजयसिंह रघुवंशी सबसे दमदार माने जा रहे हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक अजयसिंह रघुवंशी इस चुनाव में विधानसभा सीट निकाल सकते हैं। पिछले कई सालों से रघुवंशी शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहे। ये भी कहा जा सकता है कि बुरहानपुर में अगर कांग्रेस को किसी ने जिंदा रखा है तो वो नाम अजयसिंह रघुवंशी है।
परिसिमन के बाद अल्पसंख्यक सीट नहीं रही बुरहानपुर
पिछले कई सालों से बुरहानुपर विधानसभा सीट अल्पसंख्यक सीट कही जाती थी, क्योंकि बुरहानपुर शहर अल्पसंख्यक बाहूल्य है। लेकिन इससे पहले शाहपुर विधानसभा अलग थी। शाहपुर विधानसभा का परिसिमन होने के बाद बुरहानपुर अब अल्पसंख्यक सीट नहीं रही। कांग्रेस से कुछ अल्पसंख्यक नेता भी टिकट की दावेदारी अल्पसंख्यक मतदाताओं के भरोसे कर रहे हैं, लेकिन अल्पसंख्यक के अलावा अन्य मतदाताओं में भी पकड़ की जरूरत है। इसलिए कांग्रेस अगर इस एंगल पर देखती है तो अल्पसंख्यक नेता का टिकट कट सकता है।
दावेदारों में इंद्रसेन है छिपा चेहरा
कांग्रेस में दावेदारों में नया चेहरा इंद्रसेन देशमुख का सामने आ रहा है। हालांकि ये चेहरा अभी दावेदारों में छिपा हुआ है, क्योंकि खुलकर इंद्रसेन देशमुख या उनके समर्थकों ने दावेदारी नहीं जताई है, लेकिन इंद्रसेन का नाम तय हो भी सकता है, क्योंकि देशमुख पिछले कई सालों से राजनीति में सक्रिय है और मतदाताओं में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। कांग्रेस नया प्रयोग करती है तो देशमुख को प्रत्याशी बना सकती है।
फोटो:-3 भाजपा कांग्रेस लोगो।